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Sunday 6 April 2014

शब्दो की प्रत्यंचा

                              भाषा शास्त्र समृद्धि के नए सोपान चढ़ रहा है। शब्दों के नए नए निहितार्थ निकाल  शब्दकोशों को समृद्ध करने का बृहत प्रयास किया जा रहा है।  जिन शब्दो को लोग सुनने में भी कतररते थे उनका इस्तेमाल करने में हिचक ही नहीं गर्वोक्ति का अनुभव किया जा रहा है। आरोपो और आक्षेपों कि अद्भुत बिजली गरज रही है। लोग चौंधिया जा रहे है। इस चमक से स्वाभाविक रूप से आँखों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वास्तविकता क्या  है। भीड़ युक्त जनतंत्र में सिर्फ जन ही जन  ही दिखाई पर  रहे है, तंत्र जैसे सिकुड़ कर कही दुबक गया है।  हर कोई उस तंत्र को समृद्ध करने के नए -नए सब्ज बाग़ लगा रहे है ,शब्दों के फव्वारे चला कर उसे सीचने का भरपूर प्रयत्न किया जा रहा है। ये वैसा ही लग रहा है जैसे कि आसमान से तेज़ाब कि बारिश हो रही है। एक जवान लोकतंत्र कि त्वचा काफी कठोर लग रही है और सहन करने में अपने आपको  सक्षम पा रहे है।शब्दो की प्रत्यंचा पर नए नए अर्थों के  तुणीर छोड़े जा रहे है। मुकाबला लगभग बराबरी का चल रहा है। जो इस मुकाबले से उदासीन है और अभी भी त्वचा मुलायम है  उन्होंने अपने -आपको इस परिदृश्य से बाहर  कर रखा है और ध्वनि रोधक छतरी फैला कर ही बाहर निकल रहे है। 
                    अगला परिणाम जो भी हो किन्तु अगर उसे भी ये  लोकतंत्र के मंदिर में  शब्द भजन और आजान कि तरह गूंजना शुरू  कर देंगे,और यदि अपने आपको विज्ञ कहलाने वाले कुछ लोगो ने ऐतराज किया तो इनकी सर्वसम्म्ति से इंकार करने का कोई कारन नहीं दीखता । हम कुछ और पर गर्व करे या न करे इतना तो कर ही सकते है कि जिन शब्दों को अनावश्यक परदे के भीतर रखा जाता था उसे भी हमने लोकतंत्र के उद्दात परम्परा का वहन  करते हुए आजादी दे दी है। आख़िर कोई भी परतंत्रता कि बेड़ी इन्ही शब्दो के सहारे ही तो काटता है फिर उन्ही शब्दो को घेरे में रखना आखिर अन्याय ही तो है। कम से कम इतना तो हो रहा है,कितनी आसानी से हवा में स्वच्छन्द हो ये शब्द तैर रहे है। जैसे -जैसे ये शब्दों ने तैरना शुरू किया विचारो में उत्तेजना का प्रभाव चारो तरफ दिखने लगा है।इस महोत्सव में किसके स्टॉल पर कितने जाते है और  कौन किस किस का हिसाब करेगा उसके समझ के लिए इन नए प्रयोगो को भी समझना होगा। अब देखना है कि इन शब्दो के धनुर्धर में कौन मछली की  आँख कि तरह घूमने वाले जनता के दिल को भेद पाता है।